Welcome to the Electrician site
इस बेब साईट के माध्यम से आप iti और electrician से सम्बंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।(श्रवण कुमार electrician R.P.S. ITI Rafiganj)
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Rules of Earthing
आर्थिंग के नियम :-
वैसे तो लोग अपने - अपने हिसाब से वायरिंग के लिए दे ही देते हैं पर क्या आप ये जानते हैं कि आर्थिंग लगाने के भी एक नियम होते हैं जिसे एक बिजली मिस्त्री को इसकी जानकारी होनी चाहिए। जो आर्थिंग के निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए।
(1) किसी भी अवस्था में अर्थ continuity conductor का Resistance एक ओम् से अधिक नहीं होनी चाहिए।
(2) साधारण मिट्टी के अवस्था में इलैक्ट्रोल का अर्थ Resistance 3 ओम् तथा पथरीली मिट्टी में 8 ओम् से अधिक नहीं होनी चाहिए।
(3) घरों में प्रयोग होने वाली लेड शिथेड वायरिंग तथा Conduit Pipe वायरिंग में आर्थिंग बहुत ही अवश्यक होती है।
(4) वायरिंग में प्रायोग होने वाली सभी धातु उपकरण जैसे :- मेन Switch, Distribution Box, Ceiling fan, bal soket इत्यादि को अर्थ कर देना चाहिए।
(5) सभी प्रकार के medium voltage के धातु कवर्ड को अर्थ कर देना चाहिए।
(6) ISI के नियम अनुसार मकान एवं अर्थ के बीच की दूरी लगभग तीन मिटर रखनी चाहिए।
(7) बहुमंजिला इमारतें को भी लिकेज करंट से बचने हेतु आर्थिंग करना बहुत ही आवश्यकता होती है।
आवश्यक सुचना
आवश्यक सुचना
सभी ITI छात्र एवं छात्राओं को सूचित किया जाता है कि दिनांक 07/02/2018 ट्रेड थ्योरी और 09/02/2018 इंजीनियरिंग ड्राइंग ये दोनों पेपर को बिहार में रद्द कर दिया गया है।
अतः सभी छात्र एवं छात्राओं को अगले तिथि प्रकाशित होने पर पुनः सुचिता किया जाएगा। और बिसेस जानकारी के लिए अपने संस्थान से सम्पर्क करें।
Auto Transformer
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर मे सिर्फ एक ही वायंडिंग होती है जो प्राइमरी और सेकेण्डरी दोनों का कार्य करता है।
यह सेल्फ इंडक्शन के सिद्धांत पर कार्य करता है अर्थात जब किसी एक चालक में करंट प्रवाहित की जाती है तो उसी चालक में करंट परिवर्तित हो कर के E.M.F. उत्पन्न प्रारम्भ कर देती है।
आॅटो ट्रांसफार्मर वोल्टेज को स्टेप अप और स्टेप डाउन कर सकता है स्टेप अप कंडिशन में ट्रांसफार्मर की पुरी वायंडिंग सेकेण्डरी का कार्य करती है तथा स्टेप डाउन में ट्रांसफार्मर की पुरी वायंडिंग प्राइमरी का कार्य करती है।
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर मे काॅपर कि अधिक बचत होती है यह साधारण ट्रांसफार्मर के अपेक्षा समान आउट पुट के वोल्टेज के लिए काॅपर की कम आवश्यकता होती है।
प्रयोग :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर का प्रयोग वोल्टेज को थोड़े बहुत कम या अधिक मे परिवर्तन किया जाता है इसका प्रयोग इंडक्शन मोटर को चलाने तथा स्पीड के कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा लाइन में बस्टर की तरह भी इस प्रकार के ट्रांसफार्मर मे सिंगल वायरिंग होती है आर्थात प्राइमरी एवं सेकेण्डरी वायंडिंग इलैक्ट्रिकली अलग - अलग नहीं होती है और इस स्थिति में जब भी इसका इंसुलेशन कमजोर होता है तो साइड की ओर जबरदस्त झटका लगा है।
Basic
दोस्तों आज मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि ITI के छात्र एवं छात्राओं ITI तो कर रहे हैं पर उन्हें ITI से संबंधित Basic जानकारी ही नहीं है जिसके कारण उन्हें दूसरों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है।
दोस्तों मेरा मानना है कि अगर आप जो भी पढाई करें उससे संबंधित Basic जानकारी अवश्य होनी चाहिए ताकि आपको किसी के सामने शर्मिंदा न होना पढें। इस लिए मैंने अपने website पर सबसे पहले basic information दिया हूँ ताकि मेरे users को कोई परेशानी न हो और आपको किसी भी प्रकार की iti से संबंधित जानकारी चाहिए तो आप हमें massage कर सकते हैं ताकि आपकी मदद कर सकूं।
Various types of insulator
भिन्न-भिन्न प्रकार के कुचालक
इलैक्ट्रिक या इलेक्ट्रॉनिक के कार्य में निम्नलिखित insulator अधिकांशतः प्रायोग में लाए जाते हैं जिनके गुण एवं प्रायोग निम्नलिखित है।
1. अभ्रक :-
यह एक बहुत अच्छा insulator है। यह 1200°C पर मुलायम होना शुरू हो जाता है परंतु यह 600°C तक मजबूत और टिकाऊ होता है इसका प्रयोग विधुत प्रेस, कम्युटेटर सेग्मेंट, कन्डेन्सर इत्यादि में किया जाता है।
2. रबर :-
यह शुध्द रूप से मुलायम होता है परन्तु इसमें 5% सल्फर और अन्य दुसरे पदार्थ मिलाकर इसे कठोर बनाया जाता है और इसे (VIR) Volcanoes insulation rubber का नाम दिया जाता है इसका प्रयोग रबर के दास्ताने बैट्री के बर्तन तथा लो और मीडियम तारो के insulation बनाने के लिए किया जाता है।
3. P. V. C.
यह सिंथेटिक रासायनिक पदार्थ हैं इसे किसी भी अकार में ढाला जा सकता है यह कई रंगों में उपलब्ध होता है यह नमी इत्यादि को शोषित नहीं करता है तथा इसके ऊपर तेल ग्रीस अम्ल का प्रभाव नहीं पड़ता है आजकल रबर के स्थान पर pvc का अधिक प्रयोग किया जाता है
4. Ebonite and Volcanite
रबर में 30 से 50% तक सल्फर की मात्रा मिलाकर 150° C पर उसे 4 घंटे तक गर्म करके तैयार किया जाता है। यह कठोर पदार्थ है परंतु यह 70°C पर नर्म होता है। इसका प्रयोग Resistance Box के कवर बैट्री के बॉडी पैनल फ्रेम इत्यादि बनाया जाता है।
5. बैकेलाइट :-
यह एक भूरे रंग का सिंथेटिक पदार्थ है इसे किसी भी आकार में ढाल कर बनाया जाता है इसका प्रयोग स्विच, होल्डर, वालसाकिट, सिलींग रोज इत्यादि को बनाने में किया जाता है
6. Porcine :-
यह चीनी मिट्टी और पत्थर से बनाया जाता है यह सफेद अथवा भूरे रंग का होता है इस पर रासायनिक वाष्प तथा वातावरण का प्रभाव नहीं पड़ता है इसका प्रयोग किट कैट फ्यूज Over head line के insulator इत्यादि बनाया जाता है।
7. खनिज तेल
यह अच्छा insulator है जिसके अन्दर आग को शोषण करने की क्षमता है इसे ट्रांसफार्मर तेल भी कहा जाता है ये एक प्रकार के गर्मी के चालक होता है जो गर्मी को शोख कर वायंडिंग को ठंड पहुंचाती है।
8. Paper
यह भी नमी को शोषित करता है परंतु जब इसे insulating oil अथवा मोम इत्यादि में डूबा दिया जाता है तो यह एक अच्छा insulator बन जाता है यह रबर के अपेक्षा सस्ता होता है इसका प्रयोग पावर केबल तथा कंडन्सर बनाने में किया जाता है।
विधुत उत्पादन
Introduction :-
एक पावर स्टेशन में विधुत उर्जा उत्पादन करना ही विधुत उत्पादन कहलाता है और वहां से इसे फैलाया जाता है और चारों तरफ फैलाकर सब स्टेशन को दे दिया जाता है जो ट्रांसमिशन के उपरांत आता है इसके बाद सब स्टेशन से सप्लाई उपभोक्ता को दिया जाता है जो उपभोक्ता को बांटी गई सप्लाई डिस्ट्रीब्यूशन कहलाता है
पावर स्टेशन में आल्टरनेटर होता है। आल्टरनेटर को प्राइम ओवर के सहायता से घुमाया जाता है इस प्रकार के पावर स्टेशन निम्न प्रकार के होते हैं
1. Hydro power station
2. Thermal power station
3. Diesel power station
4. Atomic power station
(1) Hydro Power Station :-
इस प्रकार के स्टेशन में नदियों के उपर एक बड़ा सा डेम बनाकर उस डेम से पानी को लच्छेदार पाइप द्वारा निकाली जाती है इस लच्छेदार पाइप की सहायता से पानी को टर्बाइन के ब्लेड पर डाला जाता है जिससे वह टर्बाइन घूमना प्रारंभ कर देता है तब टर्बाइन चलने लगती है तो उसके साथ जुड़ा हुआ आल्टरनेटर भी घुमने लगता है इस विधि में प्रयोग होने वाला आल्टरनेटर कम स्पीड पर चलता है तथा उसके पोलो की संख्या अधिक होती है इसलिए इसका कार्य मुल्य प्रारंभिक मुल्य की अपेक्षा कम होती है और ऐसे आल्टरनेटर की आउटपुट क्षमता कम होती है।
(2) thermal Power Station :-
जहां पर पानी की मात्रा नहीं होती है अर्थात पानी की कमी होती है इसलिए वहां पर कोयले को जलाकर कम पानी से वास्प तैयार किया जाता है और उस तैयार वाष्प से टर्बाइन को चलाया जाता है जो स्टीम टर्बाइन के नाम से जाना जाता है और यह स्टीम टर्बाइन आल्टरनेटर को घुमाता है। इसका कार्य मूल्य प्रारंभिक मूल्य दोनों अधिक होती है।
(3) Diesel Power Station :-
ऐसे पावर स्टेशनों का प्रयोग रेगिस्तान, पहाड़ी इलाके, मेलेट्री कैम्पस तथा इमर्जेंसी स्थानों पर किया जाता है क्योंकि ऐसे स्थानों पर पानी तथा कोयला दोनों प्राप्त नहीं होते हैं। इसलिए आल्टरनेटर को घुमाने के लिए डीजल इंजन या पेट्रोल इंजन का प्रयोग किया जाता है इसका भी कार्य मूल्य बहुत अधिक होती है और इसका आउट पुट दक्षता कम होती है
(4) Atomic Power Station :-
इस प्रकार के पावर स्टेशन में स्टीम बनाने के लिए परमाणु ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है परमाणु ऊर्जा के द्वारा वाष्प उत्पन्न करके टर्बाइन को चलाया जाता है तब टर्बाइन से आल्टरनेटर को चला के विधुत उर्जा उत्पन्न किया जाता है इसका प्रारंभिक मूल्य बहुत अधिक है परंतु कार्य मूल्य थर्मल पावर स्टेशन के अपेक्षा कम है। इसका आउट पुट दक्षता बहुत अधिक होती है।
Testing of wiring Installation (वायरिंग स्थापना की जांच)
जब कभी वायरिंग को स्थापित किया जाता है तो वायरिंग स्थापना को सप्लाई देने से पहले इसकी जांच की जाती है इसे अधिकांशतः मैगर द्वारा जांच किया जाता है मैगर के हैंडिल को 140 से 160 RPM घुमाने पर निम्न मान का DC करंट उत्पन्न करने लगता है इसमें एक स्केल होती है जिसके ऊपर प्वाइंट सुई घूमता है जो insulation Resistance के मान को बताता है इसके स्केल पर 0 से लेकर 1000 ओम या 20 मेगा ओम तथा अनन्त तक अंकित होता है अनन्त को infinity कहते हैं।
अतः सप्लाई देने से पहले वायरिंग स्थापना का निम्नलिखित जांच की जाती है
1. Continuity Test
2. Insulation test between conductor
3. Insulation test between conductor and semiconductor
4. Earth continuity test
5. Polarity test of switch
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